हृदय स्पंदन गतिकीय कला से तुम पूछो ना मेरे लिए किस तरह से तुम। हृदय स्पंदन गतिकीय कला से तुम पूछो ना मेरे लिए किस तरह से तुम।
जो निरंतर बहती रहती है अपने कविता प्रवाह में... जब हम कोई कविता पढ़ते हैं...... जो निरंतर बहती रहती है अपने कविता प्रवाह में... जब हम कोई कविता पढ़ते हैं........
इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी प्रेम मरा नहीं था ! इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी प्रेम मरा नहीं था !
ताल पे बजती मंद साँसों की सरगम सुने इस हसीन आलम में पुरी उम्र गुज़ार लें मुक्ति न मांगूँ इस तन की ... ताल पे बजती मंद साँसों की सरगम सुने इस हसीन आलम में पुरी उम्र गुज़ार लें मुक्त...
मिटे कचोट न लेकिन फिर भी, छूट गया बचपन मतवाला। मिटे कचोट न लेकिन फिर भी, छूट गया बचपन मतवाला।